शीर्षक- फूलों की खुश्बू दिसम्बर में शादी हुई। बढ़िया चल रहा था सब कुछ। महीना भर हो गया था साथ में हँसते-हँसाते। ठिठुरती जनवर...
Read More
चुराई गयी डायरी का पन्ना-४
Hayat Singh
फेसबुक से पहले हम ब्लॉग पर थे, ब्लॉग से पहले हम पत्र-पत्रिकाओं में थे। समाज और साहित्य पर लिखने-पढ़ने का हमारा कॉपीराइट ही था, समझो। अरे आप ह...
Read More
चुराई गयी डायरी का पन्ना-३
Hayat Singh
हम भी हैं फेसबुक में। अरे भई हम इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, कारपेंटर, रिक्शे वाले भैया वगैरा-वगैरा। स्विच, ट्यूबलाइट, पंखा, गीज़र, हीटर से लेकर व...
Read More
चुराई गयी डायरी का पन्ना - २
Hayat Singh
स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहले से कहीं आसान पहुँच के चलते हमने भी एक आई डी बना ली फेसबुक में। उनके ऑफिस और बच्चों के स्कूल जाने के बाद घर के ...
Read More
चुराई गयी डायरी का पन्ना-१
Hayat Singh
हमें नहीं मालूम और न कभी हमने जानने की कोशिश ही की। अपन तो दस-बीस लाइक और आठ-दस कॉमेंट में ही मस्त रहने वाले आदमी हैं। गुरुग्राम वाली दीदी स...
Read More
सदस्यता लें
संदेश (Atom)